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GST पर आम जनता के प्रश्न

Ygupt
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GST – सरकार द्वारा बड़े उद्योगों को फायदा पहुँचाने और आम जनता से बढ़ी हुई दरों पर कर वसूलने की दिशा में उठाया गया एक कदम।
GST को देश की सभी आर्थिक समस्याओं के हल के रूप में पेश किया जारहा है। परन्तु कुछ आधारभूत प्रश्न हैं जो सरकार की नीयत के प्रति शंका पैदा करते हैं। जहाँ एक तरफ कच्चे तेल की कीमतों में हुई गिरावट का फायदा भी जनता को नहीं दिया गया वहीँ दूसरी तरफ सर्विस टैक्स की दर, रेल के भाड़ों और खाद्यान्नों की बढ़ी हुई कीमतों का बोझ जनता को मौजूदा सरकार के कार्यकाल में ही झेलना पड़ा।

GST के मुद्दे पर खुद अपनी पीठ ठोकने वाले नेता कृपया आम आदमी की जानकारी के लिए चंद बातों का खुलासा करें:

1. सामान टैक्स-दर के कारण जहाँ बड़े उद्योगों के लिए मौजूदा टैक्स की दरों में कमी होगी वहीँ लघु उद्योग के लिए यह दर बढ़ जाएगी, क्या यह उनके लिए अतिरिक्त बोझ नहीं होगा?
2. छोटे घरेलू उद्योग मौजूदा रियायतें गंवाने के बाद बड़े उद्योगों का मुकाबला नहीं कर पाएँगे और अंत में बंद हो जाएँगे जिससे बड़े उद्योगों के लिए एकाधिकार (मोनोपोली) की स्थितियाँ उत्पन्न हो जाएंगी। इन स्थितियों मे क्या आम जनता का शोषण नहीं होगा?
3. मौजूदा हालात में कई पदार्थों तथा खाद्यान्नों पर करों मे पूर्णतः अथवा आंशिक छूट है जो कि GST की सामान कर प्रणाली के अंतर्गत ख़त्म हो जाएगी – मतलब उनकी कीमतें तो उल्टा बढ़ जाएंगी?
4. मगर कई अन्य पदार्थ जिन पर करों की दर 25-30% से अधिक है, सरकार उनको GST से बाहर रखेगी, जैसे – पेट्रोल-डीज़ल, शराब, तम्बाखू-गुटखा एवं सिगरेट इत्यादि, अर्थात इन पदार्थों की कीमतों में भी कोई कमी नहीं आएगी। फिर सरकार कीमतें कम होने की बात कैसे कर रही है?
5. सरकार GST से विकास की बात कर रही है परन्तु जब खाद्यान्न तथा अन्य आवश्यक वस्तुएं, जिन पर आज करों की छूट है, GST की वज़ह से महँगी हो जाएंगी तो निचले वर्ग की क्रय-क्षमता कम हो जाएगी और GDP अथवा देश के विकास पर इसका इसका प्रतिकूल असर ही पड़ेगा । इसके अलावा गली-मोहल्लों में व्यापार चलाने वाले छोटे-मोटे व्यापारी GST के दायरे में आकर बड़े व्यापारियों से पिछड़ जाएँगे और अपने धंधे छोड़ने पर मजबूर होकर देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान कम कर देंगे।
6. सरकार के अनुसार GST लागू होने पर कर-संग्रह (tax-collection) में लगे सरकारी कर्मचारियों द्वारा व्याप्त भ्रष्टाचार में कमी आएगी । परन्तु जिन अफसरों को अपने वेतन से कहीं ज्यादा पैसा रिश्वत में मिलता है, वो इसके बिना इमानदारी से काम कैसे कर पाएँगे?
7. घरेलू बाज़ार में गला-काट प्रतिस्पर्धा के चलते जो व्यापारी 2-4% टैक्स की चोरी से बाज़ नहीं आते, वो 17-20% के GST की चोरी का लालच कैसे छोड़ पाएँगे?
8. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे चुनिन्दा राज्य, जहाँ स्थानीय सरकार को आयात-कर अथवा चुंगी के रूप में अतिरिक्त राजस्व मिलता है, केंद्र द्वारा सभी राज्यों GST के सामान रूप से विभाजित अंश से कैसे संतुष्ट होंगे?
9. GST से एक बड़ी उम्मीद है कि उद्योगों को देश के हर कोने में अपने गोदामों की ज़रुरत नहीं पड़ेगी। परन्तु यह कोई न्यूजीलैंड जैसा छोटा देश तो है नहीं, न ही यहाँ पश्चिमी देशों जैसी सड़कें और माल ढुलाई के साधन हैं, तो उनका माल कारखाने से समय पर बाज़ार में कैसे पहुंचेगा?
10. GST के अंतर्गत बढ़ने वाले सर्विस टैक्स से छोटे-मोटे ट्रांसपोर्टरों को बड़े और व्यवस्थित ट्रांसपोर्टरों के साथ मुकाबला करना मुश्किल हो जाएगा और वो अपनी सार्थकता खोकर ख़त्म हो जाएँगे।

आम जनता जरूर जानना चाहेगी की उपर्युक्त समस्याओं के चलते विकास कैसे होगा और सरकार के पास इनका क्या हल है।

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